Guruji Charudatta Thorat

अखिल भूवन माझे रघुबन |
याचें ठायी आश्रयण दत्ताश्रय धरिं ||
अखिल भूवन विष्णुर्एकात्म्यपूर्ण |
याचें ठायी मिलन दत्ताश्रय धरिं ||
अखिल भूवन अंतीमप्रयाणपूर्ण |
याचें ठायी वचन दत्ताश्रय धरिं ||
चारू म्हणे भक्तीतः धन्य |
सदैव श्रीविष्णुर्निजाश्रयण करिं |||
- गुरूवर्य श्री विष्णुभक्त चारूदत्त