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Guruji Charudatta Thorat

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चारूदादा परमादेश क्र.१ जेव्हा तूला तूझे आयुष्य निरर्थक वाटेल आणि तू देह-हत्येचा विचार करशील.. तेव्हा तू तो देह-हत्येचा दूष्कर्मी विचार दूर सारून अगदी त्या आणि त्या क्षणापासूनचं तूझे यथार्थ उरलेले आयुष्य अगदी तूझ्या वैयक्तिक-स्वार्थासहित तू परम् कर्मार्थ आणि परम् स्वार्थार्थ आपल्या परम्-ईश्वराला अर्पण करून दे.. असा माझा तूला आदेश आहे !!!

Guruji Charudatta Thorat

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|| गुरूवर्य विष्णुभक्त चारूदत्त अभंगगाथा || देखा अनंतचाचें रूप |  नष्ट होई अंतर्कुरूप |  येसे विष्णुभक्तागणी |  चारूमिश्रित चक्रपाणी || १ || हेचीं चित्तुपलब्धी |  सर्वगया आत्मबोधीः |  चारू अंतर्प्राणांचा निवारू |  उभां केला सर्वेकपरूः || २ || चित्तास द्यावीं ही अभिमती | चित्तेकरूपीत जी ज्याचीं स्थिती | चारू रूप "मदनमूर्तीः" | घायाळ जाहलां || ३ || एकनिकट मत्प्रिय सुश्रीप्रभु | नित्य बैसतसें ज्ञानीतांचिं सभूः | "एकत्व"मध्य धरिलें प्राणीक-"'भ्रृ'' | चारूदत्त दत्ताश्रयम् प्रभूः || ४ ||| - Guruji Shri. Charudatta Thorat - गुरूजी श्रीविष्णुभक्त चारूदत्त  CharudattaThorat.in official 

Guruji Charudatta Thorat

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Charudatta Thorat official  || विष्णुभक्त चारूदत्त अभंगगाथा || केवल कामना निर्फल होय | केवल धारणा निर्फल होय | केवल प्रार्थना निर्फल होय | केवल प्रयत्ना निर्फल होय || १ || केवल स्मरणा निर्फल होय | केवल चयणा निर्फल होय | केवल वाच्यना निर्फल होय | केवल व्यासना निर्फल होय || २ || केवल वासना (देहभोग) निर्फल होय | केवल आत्मना (आत्मयोग ) निर्फल होय | केवल मनोऽमना (मनोयोग) निर्फल होय | केवल दर्शना (शक्ती प्राप्ती किंवा सिद्धी ) निर्फल होय || ३ || केवल इह प्राणदा शाश्वत | आणिक पूर्णफल देययुक्त | ऐसा चारू नित्य जीवित | दत्ताश्रयणांतर भव गुण गात || ४ ||| साधकाची फक्त "कामना" काहीही कर्मफलित अवतरवू शकीत नाही.  अगदी हेचं तत्त्व धारणा, प्रार्थना, प्रयत्ना, स्मरणा, चयणा, वाच्यना, व्यासना, वासना, मनोऽमना, दर्शना ह्या संबंधीत आहे. विष्णुभक्त चारूदत्त म्हणतात की, "दत्ताश्रय" हेचं पूर्णफलयुक्त आहे. - Guruji Shri. Charudatta Thorat

Guruji Charudatta Thorat

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|| विष्णुभक्त चारूदत्त अभंगगाथा || जय हरी जय हरी | हरी नामां पंढरपूरी || १ || मधूर आविट हरी नाम | गूढीत परम हरिवर्म || २ || पावतों निश्चय संताचीया येथ | प्राप्तते सदैव ''संतत्व'' तेथ || ३ || विष्णूर्निज हृदयीं बोलतो सु"चारू" | एक परमात्मा अनंत उभारूः || ४ || दास दत्ताश्रय इति सत्ऽ वचनः | एक दत्ताश्रयण विष्णुश्रयणः || ५ ||| - Guruji Shri.Charudatta M Thorat

Guruji R.V.Charudatta Mahesh Rao Thorat

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सूत्र -  धन्य धन्य धन्य कैवल्यम् सदाम्ः |  धन्य धन्य धन्य कैवल्यम् धनदाम्ः || १ || धन्य धन्य धन्य कैवल्यम् मूर्तीजा | धन्य धन्य धन्य कैवल्यम् स्मृतीजाः || २ || धन्य धन्य धन्य अविरतशाश्वतदा | निरंतर चारू सत्त्वसांग नित्यदाः || ३ ||| मूळार्थ- "परमेश्वरीय धन्यता" ही शाश्वत असते.

Guruji Charudatta Thorat

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[17/07, 06:45] Charudatta Thorat Temple:  सर्वांगमय सर्वांगार्थित एकम् एकम् | सर्वांगमय सर्वांगास्थित एकम् एकम् |  सर्वांगमय सर्वांगाधिष्ठीत एकम् एकम् | विष्णुश्रयातीतम् श्रयणात्म विष्णूम् || [17/07, 06:54] Charudatta Thorat Temple:  * सर्वांगमय व सर्वांगार्थ, सर्वांगमय व सर्वांगास्थित, सर्वांगमय व सर्वांगाधिष्ठीत  जे "एकम्" (म्हणजे दत्ताश्रय एकतत्त्व) आहे, ते संपूर्णार्थाने श्रीविष्णुचरण श्रयणात्म श्रयातीतम् आहे, असा सूत्रार्थ ह्या सूत्रामधून व्यक्तबद्ध होतो. Guruji Charudatta Thorat गुरूवर्य विष्णुभक्त चारूदत्त

Guruji Charudatta Thorat

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                          Twitter शांतृ~भावन्यंः प्रदाः चित्तयंस्मिम् सदाः | अंतर्जीवितो सजीवैः | नित्यव्रता~नंदाः || १ || प्रभैवानितीजाव्रत्पूर्तैंः तोंः तेधि उत्पत्तीजमूलः | यद् ~ स्वभावै ~ च्छ मूल | कर्मेति~ चारूदत्तः || २ ||| शांतृ~ भावनेची प्रत्येक प्रदा (दत्ताश्रय अवस्थाः)  अंतर्जिवीताच्या कार्युत्पत्तीकरितां योजलेली असते. इथे नित्य कार्यमान ज्ञानजीविक(भक्त) ह्या खर्या  मनोयोगत्वाच्या पूर्णजीविताला ज्ञानुन कर्मबद्ध असतो.  अशा आत्मावस्थेत चारूदत्त (उर्फ सुंदर) चित्त विराजते. निर्बुद्ध चित्तगती ह्या परम् तत्त्वाला जाणून घेऊ शकत नाही. - गुरूवर्य विष्णुभक्त चारूदत्त  - Guruji Charudatta Thorat 

Guruji R.V.Charudatta Mahesh Thorat

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अमृतेंऽ जया ठायीं करिलें घर | तयाचाचीं करिं मम् चित्त आशर || १ || धन्य सौभाग्यव्रत हेचीं लेखिलें सदैवेंऽ | अमृतरूप ऐशा मनोभावेंः || २ || चारू म्हणे चित्त करोनी शरण | भव अगाध मरण | विष्णाठायींः || ३ ||| - गुरूवर्य श्री विष्णूभक्त चारूदत्त 

Guruji R.V. Charudatta Mahesh Thorat

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भव भाग्याचिये रमन | भव भाग्यां माझि चयण | अवघा विष्णुरूप प्राण | रमन रमन || १ || भव सौभाग्यत्व हेचीं पूर्णः | नित्याविरत शुद्ध | म्हणौनीं सांगे चारूर्रूपे | म्हणतीं जें वाचेंः || २ || चारू म्हणेंः सदा संगी | विष्णुर्रूपदा प्राप्तांगी | सौभाग्यत्व अमरम् | विष्णवेक प्रियतमाम् || ३ ||| गुरूवर्य - श्रीविष्णूभक्त चारूदत्त 
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नेटका प्रपंच धारावा सकळ | जेणे निख्खळ सौजन्य पाझरें || १ || नेटका सर्वगुणीत धारावे निर्मळ | सत्जीवित जे सदैव सकळ || २ || सदैव विष्णुभक्त करिं विष्णुसीं | प्राणदा उज्ज्वल समस्थप्रभूसींः || ३ ||| - गुरूवर्य विष्णुभक्त  चारूदत्त  - Guruji Charudatta Mahesh Thorat

प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी ह्यांना आषाढी एकादशी वारीकरिता पत्र..

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प्रति,                                                                            08/07/2018   माननीय प्रधानमंत्री महोदय , भारत सरकार नई दिल्ली             विषय :---  महाराष्ट्र की प्रमुख धार्मिक यात्रा वा मेला में देश के प्रधान सेवक के रूप में सादर आमंत्रित  (चारूदत्त महेश थोरात नाशिक में S.Y.B.A (  द्वितीय वर्ष कला  ) के, टी , एच, एम, महाविद्यालय नासिक का छात्र हु और आपको महा गुप्त ज्ञान  भाषा संस्कृत में इस संतो और भक्तो की आस्था की यात्रा वा मेले में पत्र लिखकर सादर निवेदन } महोदय ,      महाराष्ट्र का प्रमुख धार्मिक आयोजन और संतो , भक्क्तो का  मेला जो की महाराष्ट्र की मराठी अस्मिता और भक्ति की झलक को एकता की सूत्रों में पिरोता है और महाराष्ट्र और देश को विठ्ठल - रुक्मिणी  की भक्ति के रूप में आषाढी एकादशी को ...

Guruji Charudatta Thorat

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|| विष्णूभक्त चारू दत्त अभंगगाथा || करिता लोळन हरी निज शरण | अनन्य विश्राम तूझेचीं ठायीं || १ || धरोनीया नित्य यांतरी मिलाप | भयभाव कोणता उरला नाहीं || २ || विष्णुर्चरणामध्य चारू सांगे तत्त्व | जे सांगती अनन्यविध देवत्वभावः || ३ ||| - गुरूवर्य श्रीविष्णुभक्त चारूदत्त  - Guruji Shri. Vishnubhakta Charu datta #योगदान : 4/7/2019

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