Guruji Charudatta Thorat
|| विष्णुभक्त चारूदत्त अभंगगाथा ||
केवल कामना निर्फल होय |
केवल धारणा निर्फल होय |
केवल प्रार्थना निर्फल होय |
केवल प्रयत्ना निर्फल होय || १ ||
केवल स्मरणा निर्फल होय |
केवल चयणा निर्फल होय |
केवल वाच्यना निर्फल होय |
केवल व्यासना निर्फल होय || २ ||
केवल वासना (देहभोग) निर्फल होय |
केवल आत्मना (आत्मयोग ) निर्फल होय |
केवल मनोऽमना (मनोयोग) निर्फल होय |
केवल दर्शना (शक्ती प्राप्ती किंवा सिद्धी ) निर्फल होय || ३ ||
केवल इह प्राणदा शाश्वत |
आणिक पूर्णफल देययुक्त |
ऐसा चारू नित्य जीवित |
दत्ताश्रयणांतर भव गुण गात || ४ |||
साधकाची फक्त "कामना" काहीही कर्मफलित अवतरवू शकीत नाही.
अगदी हेचं तत्त्व धारणा, प्रार्थना, प्रयत्ना, स्मरणा, चयणा, वाच्यना, व्यासना, वासना, मनोऽमना, दर्शना ह्या संबंधीत आहे. विष्णुभक्त चारूदत्त म्हणतात की, "दत्ताश्रय" हेचं पूर्णफलयुक्त आहे.
- Guruji Shri. Charudatta Thorat